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सेंसेक्स और निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर

01.12.2025

सेंसेक्स और निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर

प्रसंग

भारत के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी नए रिकॉर्ड हाई पर पहुंच रहे हैं। इस अपट्रेंड को मुख्य रूप से लार्ज-कैप हेवीवेट्स के एक छोटे ग्रुप , खासकर बड़े बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज लीड कर रहे हैं। इससे मार्केट कंसंट्रेशन और कमजोर ओवरऑल मार्केट ब्रेड्थ को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं ।

 

सूचकांकों के बारे में

1. बीएसई सेंसेक्स

  • एक्सचेंज: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)
     
  • कंपोज़िशन: खास सेक्टर की 30 जानी-मानी, फाइनेंशियली मज़बूत कंपनियाँ।
     
  • आधार वर्ष और आधार मूल्य: 1978–79 , आधार मूल्य 100 .
     
  • कैलकुलेशन: फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन मेथड (वेट सिर्फ़ पब्लिकली ट्रेडेबल शेयरों पर निर्भर करता है)।
     
  • भूमिका: भारत का सबसे पुराना और सबसे ज़्यादा ट्रैक किया जाने वाला इंडेक्स , जो BSE पर मार्केट परफॉर्मेंस को दिखाता है।
     

 

2. निफ्टी 50

  • एक्सचेंज: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
     
  • कंपोजिशन: मुख्य सेक्टर्स की 50 सबसे बड़ी और सबसे लिक्विड कंपनियां।
     
  • आधार तिथि और आधार मूल्य: 3 नवम्बर 1995 , आधार मूल्य 1000 .
     
  • कैलकुलेशन: फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन मेथड।
     
  • भूमिका: भारतीय इक्विटी मार्केट का एक बड़ा इंडिकेटर, जिसमें अलग-अलग सेक्टर और कंपनियां शामिल हैं।
     

 

स्टॉक एक्सचेंज: बीएसई और एनएसई

अदला-बदली

पूरा नाम

स्थापित

प्रमुख विशेषताऐं

बीएसई

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज

1875

1995 में BOLT के साथ ओपन-क्राई से इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में चला गया।

एनएसई

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

1992 (निगमित)

भारत का पहला देश भर में, पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज; 1994 में मॉडर्न स्क्रीन-बेस्ड, ऑर्डर-ड्रिवन ट्रेडिंग शुरू की।

 

मौजूदा रैली के मुख्य कारण और चिंताएं

उछाल के चालक

  • ग्लोबल सेंटिमेंट: US फेडरल रिजर्व के रेट में कटौती की उम्मीद से ग्लोबल रिस्क लेने की क्षमता बढ़ी है, जिससे भारतीय मार्केट में FII की दिलचस्पी बढ़ी है।
     
  • कच्चे तेल की कम कीमतें: तेल की कम कीमतों से भारत का इम्पोर्ट का बोझ कम होता है, महंगाई का दबाव कम होता है, और कॉर्पोरेट प्रॉफिट बढ़ता है।
     
  • अर्निंग्स आउटलुक: कॉर्पोरेट अर्निंग्स स्टेबल होती दिख रही हैं, और आने वाले फाइनेंशियल ईयर में डबल-डिजिट ग्रोथ की उम्मीद है।
     
  • घरेलू फ्लो: DII से मजबूत निवेश और म्यूचुअल फंड में लगातार इनफ्लो से मार्केट को सपोर्ट मिल रहा है।
     

 

बाजार एकाग्रता संबंधी चिंताएँ

  • नैरो लीडरशिप: मार्केट के रिकॉर्ड हाई कुछ हैवीवेट स्टॉक्स की वजह से हो रहे हैं , जिससे इंडेक्स परफॉर्मेंस में उतार-चढ़ाव आ रहा है।
     
  • कमजोर ब्रेड्थ: सेंसेक्स और निफ्टी के ऑल-टाइम हाई पर पहुंचने के बावजूद, कई मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक अपने पीक से काफी नीचे हैं।
     
  • रिटेल पर असर: ज़्यादा कीमत वाले मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक रखने वाले रिटेल इन्वेस्टर्स को नुकसान हो रहा है, भले ही हेडलाइन इंडेक्स बढ़ रहे हों, जिससे कंसंट्रेशन रिस्क और इंडेक्स लेवल और मार्केट की बड़ी हेल्थ के बीच फर्क दिख रहा है।

 

 

 

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