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राइट टू रिपेयर आंदोलन

14.05.2025

राइट टू रिपेयर आंदोलन

प्रसंग:
 भारत में "राइट टू रिपेयर" (मरम्मत का अधिकार) आंदोलन तेजी से बढ़ रहा है। यह उपभोक्ताओं को यह अधिकार देने की मांग करता है कि वे अपने उत्पादों को स्वयं या किसी थर्ड पार्टी से मरम्मत करवा सकें, केवल निर्माता पर निर्भर न रहें।

राइट टू रिपेयर क्या है?
 यह सरकार की ऐसी नीतियों को दर्शाता है जो उपभोक्ताओं को अपने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मरम्मत या संशोधन की स्वतंत्रता देती हैं।

मुख्य उद्देश्य:

  • उपभोक्ता सस्ते में अपने उत्पादों की मरम्मत या अपग्रेड कर सकें।
     
  • केवल निर्माता की सेवाओं पर निर्भरता न हो।
     
  • इसकी शुरुआत अमेरिका में 2012 के "Motor Vehicle Owners’ Right to Repair Act" से हुई थी, जिससे वाहन की मरम्मत से जुड़ी जानकारी उपभोक्ताओं को मिलने लगी।
     

प्रस्तावित ढांचा:

  • निर्माता कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ मरम्मत की जानकारी साझा करनी होगी।
     
  • उपभोक्ता चाहें तो स्वयं मरम्मत करें या थर्ड पार्टी सेवा का उपयोग करें।
     
  • यह ढांचा OEM (Original Equipment Manufacturer) और थर्ड पार्टी के बीच संतुलन बनाएगा।
     
  • मरम्मत क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।
     

राइट टू रिपेयर के लाभ:

  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि छोटे मरम्मत व्यवसाय फलेंगे।
     
  • इलेक्ट्रॉनिक कचरे (e-waste) में कमी आएगी।
     
  • उपभोक्ताओं के लिए लागत में बचत होगी।
     
  • उत्पादों की उम्र बढ़ेगी जिससे दोबारा उपयोग, मरम्मत और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा मिलेगा।
     

जहाँ यह लागू किया जा सकता है:

  • कृषि मशीनरी
     
  • मोबाइल फोन और टैबलेट
     
  • घरेलू उपकरण
     
  • ऑटोमोबाइल और अन्य मशीनें
     

यह क्यों जरूरी है?

  • निर्माता कंपनियाँ स्पेयर पार्ट्स और डिज़ाइन की जानकारी रोक कर रखती हैं।
     
  • अनधिकृत मरम्मत से वारंटी खत्म हो सकती है।
     
  • मरम्मत की मैनुअल और जानकारी सार्वजनिक नहीं होती।
     
  • "प्लांड ऑब्सोलेसेंस" की समस्या, जिसमें उत्पाद जानबूझकर कम समय के लिए बनाए जाते हैं।
     
  • खराब या मरम्मत न हो सकने वाले उत्पाद e-waste बढ़ाते हैं।
     
  • यह आंदोलन भारत की "LiFE" (Lifestyle for Environment) पहल से मेल खाता है, जो पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देती है।
     

आगे की राह:

  • स्पेयर पार्ट्स, उपकरण और डायग्नोस्टिक किट को जनता और थर्ड पार्टी मरम्मतकर्ताओं के लिए सुलभ बनाना।
     
  • एक कानूनी ढांचे की जरूरत है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ अधिकृत सेवाएं नहीं हैं।
     

भारत का अनौपचारिक मरम्मत क्षेत्र सरकार की मदद से बेहतर सेवाएं दे सकता है।

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